संथाल विद्रोह (हुल दिवस) DPS
हुल दिवस वनाम सिद्धों -कान्हों। भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां के लोग शांति प्रिय होते हैं। संथाली लोग जो भोले पन के मिशाल थें। परन्तु अंग्रेजों को इनकी खुशीयां देखी नहीं गई, और वे इन भोलें भालें लोगों पर अत्याचार करने लगे।30 जून 1855ई0 को भोगना डिह में एक संतालों का सभा बुलाई गई और वहीं से उभरे सिद्धों,कान्हों, चांद और भैरव। जो अंग्रेजी सरकार के लिए ना सिर्फ सिरदर्द बल्कि तबाही मचाई दी। एक तरफ आधुनिक हथियार तो दुसरी तरफ पारंपरिक तीर धनुष और अन्य हथियार। यही से प्रारंभ होती है भरतीए स्वतंत्रता संग्राम। भारत के इतिहास में इस विद्रोह को संथाल विद्रोह के नाम के साथ ही स्वर्णिम अच्छरों में अंकित है। इन शहीदों के नाम पर भारत सरकार ने 2002 ई0 में डाक टिकट भी जारी किया था। इन वीरों का जन्म प्राचीन विहार एवं आधुनिक झारखण्ड राज्य में हुआ था। आज झारखण्ड राज्य में इन वीरों के नाम पर कई स्मारकों की स्थापना की गई है। जिसमें प्रसिद्ध है सिद्धों कान्हों विश्व विद्यालय। आज झारखण्ड राज्य एवं पुरे भारत इन वीरों को हुल दिवस पर सत् सत् नमन करता है। DPS DANGI PUBLIC SCHOOL NAWA JAYPUR PATAN PALAMU